भगवान का दूसरा रूप पिता...... बेशक पिता लोरी नहीं सुनाते और न ही मां जैसा प्यार करते है। लेकिन दिनभर की थकान के बाद रात का पहरा बन जाते है। जब सुबह घर से निकलते है तो किसी की किताब, किसी की दवाई और किसी के खिलौने को पूरा करते है और घर भर की सपने पिता के होते है। हर घड़ में साथ निभाता बहुत मान इंसान है सच कहूं तो वो भगवान है। पापा, पिता तो उसका प्यारा सा नाम है। जन्म का अर्थ शायद मां से हो लेकिन मेरी तकदीर मेरे पिता से है। मुझे मोहब्बत है अपने हाथ की सभी उंगलियों से क्योंकि न जाने किस उंगली को पकड़ कर मम्मी पापा ने मुझे चलना सिखाया था। अजीज भी वो है, नसीब भी वो है, दुनिया की भीड़ में सबसे करीब भी वो ही है। उनकी दुआओ से ही चलती है जिंदगी क्योंकि खुदा भी वो है तकदीर भी वो है............... फादर्स डे क्यों बनाया जाता है? हर साल जून माह के तीसरे सप्ताह में फादर्स डे मनाते है और पिता के प्रति प्रेम व्यक्त करते हैं। लेकिन कभी आपने सोचा है कि यह परिकल्पना आईं कहां से और इसकी शुरुआत कैसे हुई? इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है। साल 2020 में फादर्स डे को 110 साल पूरे ह...